भाग 1: परिचय
क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि बिना किसी ठोस कारण के आपको अचानक लगा हो कि कुछ होने वाला है – और कुछ देर में वही हो गया?
शायद किसी पुराने मित्र का खयाल अचानक दिमाग में आया और कुछ ही समय बाद उसका फ़ोन आ गया। या फिर किसी जगह जाने से पहले दिल ने अचानक मना कर दिया और बाद में पता चला कि वहाँ कोई दुर्घटना हो गई थी।
इसी अदृश्य शक्ति को पूर्वाभास कहा जाता है।
पूर्वाभास एक ऐसा अनुभव है, जिसे समझना मुश्किल है पर नकारना असंभव। यह वह हल्की-सी खटखटाहट है, जो हमारी आत्मा हमें देती है। कभी यह चेतावनी होती है, कभी यह प्रेरणा। जीवन के रास्तों पर चलते समय यह एक अदृश्य साथी की तरह हमारा हाथ पकड़ लेता है।
पूर्वाभास क्यों महत्वपूर्ण है?
मनुष्य केवल आँखों से दिखाई देने वाली दुनिया तक सीमित नहीं है। हमारी चेतना (consciousness) और अवचेतन मन (subconscious mind) बहुत गहराई तक काम करते हैं। पूर्वाभास इसी अवचेतन से निकली वह आवाज़ है, जो हमें आने वाली परिस्थितियों का आभास कराती है।
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यह हमें खतरे से बचाता है।
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यह हमें सही अवसरों की ओर ले जाता है।
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यह हमें रिश्तों में सच्चाई का एहसास कराता है।
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और सबसे बड़ी बात – यह हमें अपने भीतर झाँकने का मौका देता है।
भाग 2: पूर्वाभास का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक आधार
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारा मस्तिष्क हर सेकंड लाखों सूचनाएँ ग्रहण करता है। लेकिन हम उनमें से केवल थोड़ी-सी चीज़ें ही सचेत रूप से देख पाते हैं। बाकी सारी जानकारी अवचेतन मन में चली जाती है।
यही अवचेतन मन कभी-कभी एक संकेत (signal) के रूप में हमें वापस भेजता है। यह अचानक का ‘gut feeling’ या ‘instinct’ ही पूर्वाभास कहलाता है।
उदाहरण के लिए –
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आपने रास्ते में किसी अनजाने इंसान को देखा और बिना वजह बेचैनी महसूस हुई। वास्तव में आपके अवचेतन मन ने उसके चेहरे की अभिव्यक्ति, चाल-ढाल या ऊर्जा को पकड़ लिया, जो आपके सचेत दिमाग ने नोटिस नहीं किया।
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किसी परीक्षा से पहले आपको अचानक आत्मविश्वास महसूस हुआ, क्योंकि आपका अवचेतन मन याद कर रहा था कि आपने पर्याप्त अभ्यास किया है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
आध्यात्मिक लोग मानते हैं कि पूर्वाभास केवल दिमाग की चाल नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ है। जब इंसान शांत मन से अपने भीतर जुड़ता है, तब उसकी अंतरात्मा भविष्य की ऊर्जा को महसूस कर सकती है।
ऋषि-मुनि, योगी और साधक इसी पूर्वाभास के सहारे गहरी साधना में सफल होते हैं। वे कहते हैं कि पूरी सृष्टि ऊर्जा और कम्पन (vibrations) से बनी है। जब हम संवेदनशील होते हैं, तो इन कम्पनों को पहले ही पकड़ लेते हैं।
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